तेरा रूठ जाना मुझे बहुत सताता है ।।

हर एक सपना है
जो तुझसे ही शुरू हो जाए,
तुझे मनाने मैं बहुत सारा
वक्त जाया हो जाए ।।a

हसी भरी तेरी मुस्कान
मुझे बहुत भाही है,
तुझे हर दिन देख कर
तु दिल में समाई है।।

खुशियां खुशियां बिछा दूंगा
तेरी ही कदमों मैं,
हर ओ खुशियां खरीदना चाहूंगा
मैं एक बाजार में ।।

प्यारी है तेरी ओ मुस्कान
जिससे ये दिल की रूबरू है खुशियां,
छोटा एक मकान हो
जिंदगी भर के लिए तेरा हाथों मैं हाथ हो।।

छोटी है जिंदगी
बीत जाए कुछ पल,
कभी मत रूठना
छोटी छोटी बात पर ।।

परेशान तो में करता हु तुझे
कोई बात का भूरा भी लगे,
कह देना मुझे गुस्से में सवार होकर
नाराज नही रहूंगा तेरे कुछ कह देने से ।।

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यही तो मेरा यादों भरा गांव है ।।

बात ही ऐसी निराली थी
हरियाली गांव की ताजा थी ।।

घर पास घर बसे पड़े थे
यारों की दोस्ती कोई कम ना थी ।।

चर्चा में तो सभी थे
अपनी अपनी टोली थी ।।

कहने की एक बात थी
सभी हमे हमारे अपने थे ।।

घूमती सारे गलियों से
हवा में सबसे प्यारी थी ।।

हवा के झोंके मैं शुद्धता निराली थी
सारी गलियां एकनिष्ठा खिलती थी ।।

यारों की तो यारी थी
समय की ना दूरी थी ।।

बड़े थे खेल के मैदान
उसमे जिन्दगी समाई थी ।।

खेतों की तो बात ना पुछों
सबके हिस्से में बराबर थी ।।

बारीश के मौसम भी
समय के दीवाने थे ।।

मेहनत की बड़ी साथ थी
आनंद भरी कमाई थी ।।

आराम भरी जिंदगी
खुशियों ने ही घेरी थी ।।

पेड़ो की छांव को
झूलों से भरे थे ।।

नदियों के पानी की बात कुछ ऐसी थी
जीवन की सुविधाएं जैसे उसी में रचाई थी ।।

हरियाली ही हरियाली
पूरे विश्व मैं फैली थी ।।

खेले तो है मैदान मैं
मिट्टी से सारे जुड़े हुए थे ।।

पक्षीयों की इतनी भीड़ थी
मानो उनकी ही जीत थी ।।

प्रदूषण की बात ही नहीं
जानवरों में साथ अपनी सवारी थी ।।

जहां मन चाहा वहा घूमे
जानवरों को इंसानो से लगाव ही थी ।।

मंदिरों के भगवान सबके प्यारे थे
सुबह हो या श्याम जगह भक्तो से समाई थी ।।

ना कोई भेद था न कोई भाव था
सबसे प्रिय ऐसे सबके विचार थे ।।

रिस्तो की दूरियां कभी नहीं भाई
घने जंगलों की जैसे रिश्तों की कमाई थी ।।

जगह जगह सबसे प्यारी थी
सभी को गांव से यारी थी ।।

मां ही मेरी जन्नत हैं ।।

बचपन ही सही है
जैसे घर में है मेरी मां ।।

सपने सारे खुशियों से
मेरे पापा ने सजाए ।।

रोना भी तो बहोत था
हमेशा मेरे पास मेरी मां रहे ।।

दिन है यह शरारतो का
मौज मस्ती भरा हुआ था ।।

खाने की थाली लेकर मैंने
बहुत बार मेरे पीछे दौड़ाया भी तो है ।।

मां तो मां ही है जन्नत भी कम है
पिता की मुझमें बसी हुई जान है ।।

नन्नासा तो मेरा जहान है
मेरे मां पापा से हसी भरा मेरा एक जहा हैं ।।

खरचं आज शांत राहवसं वाटतयं…

अाज शांत राहावस वाटतयं
दूर कुठे तरी निघून जावस वाटतयं ,
मनात चालाणाऱ्या संघर्षाला
दूर कुठे तरी लोटाव वाटतयं…

अाज शांत राहावस वाटतयं
नको ती आपुलकीची नाती ,
नकोत त्या विश्वासाच्या गोष्टी
मनाला शांत झोपवस वाटतयं….

अाज शांत राहावस वाटतयं.
नको तो रोज रोज आठवणींचा ओझा ,
नको आपल्यामुळे कोणा दुसऱ्याला सजा
सर्वांपासून दूर राहवस वाटतयं….

खरचं
आज
शांत
राहवसं
वाटतयं….

यादें हमेशा रुलाती हैं।।

आंखों से निकलने वाले आंसू
कभी जूठ नहीं बोलने देती है ।।

कही खामोशियां छुपी हुई हैं
तो कही नाराज़गी दिल में भरी हुई है ।।

पता नहीं आज जिंदगी कोनसा नया मोड़ ले आएगी
कभी आंसुओ ने रुलाया हैं कभी अपनो रुलाया ।।