



बचपन ही सही था
शरारतों से भरा हुआ था ।।
मां का प्यार था
छोटिसी थी यह जिंदगी ।।
रोना भी यही था
हसने के भी बहाने थे ।।
छोटे छोटे भाई बहन
मस्ती भरे ओ दिन थे ।।
हसा बसा यह पल
मां बाप का ही साया है ।।
देर से उठाकर भी
हरा भरा दिन था ।।
ना कोई काम था
ना कोई परेशानी थी ।।
छोटासा यह बचपन
नखरे बहुत बड़े थे ।।
मां की कभी डाट थी
तो कही मां की ममता भी थी ।।
गुजर गया छोटासा बचपन
गुजर गया हो अपानसा वक्त ।।
आज हुए बड़े हम
परेशानी से घेहेर हुए ।।
रोना तो आज भी आता है
बीत गया हो कल का पल ।।




















