यह रातें यह बातें
कहने जैसी कोई बात नहीं
चांद की छांव के बाद
सूरज को भी तो आना है ।।
सफल हो या असफल
लोगों को तो सूनाना है
बात कोई ऐसी हो
जिसमें लोगों ने ना कहा हो ।।
बात थोड़ी कड़वी है
कहीं सच बोलने पर
गुस्सा अक्षर आता है
सही बात करने पर ।।
लोगों का तो कहना है
इनसे कुछ ना होगा
बात को सुनकर
अनसुना करना है ।।
मंजिलें तो कही है
मेहनत भी तो करनी है
हासिल होगा एक दिन
जमाने को भी तो दिखाना है ।।






