
बचपन ही सही है
जैसे घर में है मेरी मां ।।
सपने सारे खुशियों से
मेरे पापा ने सजाए ।।
रोना भी तो बहोत था
हमेशा मेरे पास मेरी मां रहे ।।
दिन है यह शरारतो का
मौज मस्ती भरा हुआ था ।।
खाने की थाली लेकर मैंने
बहुत बार मेरे पीछे दौड़ाया भी तो है ।।
मां तो मां ही है जन्नत भी कम है
पिता की मुझमें बसी हुई जान है ।।
नन्नासा तो मेरा जहान है
मेरे मां पापा से हसी भरा मेरा एक जहा हैं ।।




























