यही तो मेरा यादों भरा गांव है ।।

बात ही ऐसी निराली थी
हरियाली गांव की ताजा थी ।।

घर पास घर बसे पड़े थे
यारों की दोस्ती कोई कम ना थी ।।

चर्चा में तो सभी थे
अपनी अपनी टोली थी ।।

कहने की एक बात थी
सभी हमे हमारे अपने थे ।।

घूमती सारे गलियों से
हवा में सबसे प्यारी थी ।।

हवा के झोंके मैं शुद्धता निराली थी
सारी गलियां एकनिष्ठा खिलती थी ।।

यारों की तो यारी थी
समय की ना दूरी थी ।।

बड़े थे खेल के मैदान
उसमे जिन्दगी समाई थी ।।

खेतों की तो बात ना पुछों
सबके हिस्से में बराबर थी ।।

बारीश के मौसम भी
समय के दीवाने थे ।।

मेहनत की बड़ी साथ थी
आनंद भरी कमाई थी ।।

आराम भरी जिंदगी
खुशियों ने ही घेरी थी ।।

पेड़ो की छांव को
झूलों से भरे थे ।।

नदियों के पानी की बात कुछ ऐसी थी
जीवन की सुविधाएं जैसे उसी में रचाई थी ।।

हरियाली ही हरियाली
पूरे विश्व मैं फैली थी ।।

खेले तो है मैदान मैं
मिट्टी से सारे जुड़े हुए थे ।।

पक्षीयों की इतनी भीड़ थी
मानो उनकी ही जीत थी ।।

प्रदूषण की बात ही नहीं
जानवरों में साथ अपनी सवारी थी ।।

जहां मन चाहा वहा घूमे
जानवरों को इंसानो से लगाव ही थी ।।

मंदिरों के भगवान सबके प्यारे थे
सुबह हो या श्याम जगह भक्तो से समाई थी ।।

ना कोई भेद था न कोई भाव था
सबसे प्रिय ऐसे सबके विचार थे ।।

रिस्तो की दूरियां कभी नहीं भाई
घने जंगलों की जैसे रिश्तों की कमाई थी ।।

जगह जगह सबसे प्यारी थी
सभी को गांव से यारी थी ।।

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